5 Easy Facts About shiv chalisa lyrics in gujarati Described

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पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

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स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी । आय हरहु अब संकट भारी ॥

लाय सजीवन लखन जियाये। श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा । जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥

त्रिपुरासुरेण सह युद्धं प्रारब्धम् ।

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

हे गिरिजा पुत्र भगवान श्री गणेश आपकी जय हो। आप मंगलकारी हैं, विद्वता के दाता हैं, अयोध्यादास की प्रार्थना है प्रभु कि आप ऐसा वरदान दें जिससे सारे भय समाप्त हो जांए।

यह एक चमत्कारीक स्त्रोत है जिसका पाठ करने से भोलेनाथ तो प्रसन्न होते ही है, साथ ही इससे बिगड़े हुए काम भी बन जाते है। इस स्त्रोत here के पाठ शिव रात्रि या सावन के महीने में शुभ मानते है। शिव जी की अगर कोई श्रद्धा पूर्वक भक्ति करता है तो भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते है। इसी कारण से भोले नाथ को ‘आशुतोष’ के नाम से भी जाना जाता है।

अर्थ- हे प्रभू आपके समान दानी और कोई नहीं है, सेवक आपकी सदा से प्रार्थना करते आए हैं। हे प्रभु आपका भेद सिर्फ आप ही जानते हैं, क्योंकि आप अनादि काल से विद्यमान हैं, आपके बारे में वर्णन नहीं किया जा सकता है, आप अकथ हैं। आपकी महिमा का गान करने में तो वेद भी समर्थ नहीं हैं।

सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥

भगवान शिव की महिमा का बखान करने के लिए अनेकों अष्टकों की रचना हुई है, जिनमें  शिवाष्टक, लिंगाष्टक, रूद्राष्टक, बिल्वाष्टक काफी प्रसिद्ध हैं, जिसमें शिवाष्टक का विशेष महत्व है।

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